दिल्ली हाईकोर्ट : नर्सों के मतदान के अधिकार वाली याचिका पर दिल्ली सरकार और नर्सिंग काउंसिल को नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नर्सिंग काउंसिल से रजिस्टर्ड सभी नर्सों को डीएनसी के पदाधिकारियों और कार्यकारिणी के चुनाव में मतदान करने का अधिकार देने की मांग पर दिल्ली सरकार और डीएनसी को नोटिस जारी किया है.
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने सोमवार को एक गैर सरकारी संगठन इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर ये नोटिस जारी किया. याचिकाकर्ता की ओर से वकील रोबिन राजू और जोएल जोसेफ ने कहा कि डीएनसी के कार्यकलाप में वित्तीय पारदर्शिता की कमी है.
दिल्ली नर्सिंग परिषद में पंजीकृत सभी नर्सों को वोट देने का अधिकार देने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें कहा गया था कि सभी पंजीकृत नर्सों को वोटिंग का अधिकार दिया जाना चाहिए, ताकि वे परिषद के कार्यकरणी के पदाधिकारियों के चुनाव में भाग ले सकें.
याचिका में कहा कि दिल्ली नर्सिंग परिषद में पंजीकृत 90 हजार नर्सों को प्रतिनिधि चुनने के लिए वोटिंग का अधिकार नहीं दिया गया है. नर्सों को भी वकीलों, डॉक्टरों और चार्टड एकाउंटेंट की तरह प्रतिनिधि चुनने के लिए अधिकार मिलना चाहिए. इसलिए दिल्ली नर्सेज काउंसिल एक्ट में तत्काल संशोधन की जरूरत है ताकि डीएनसी के सदस्यों को नामिनेट करने का वर्तमान अलोकतांत्रिक और मनमाना तरीका खत्म किया जाए. साथ ही याचिका में मांग की गई है कि डीएनसी और दिल्ली सरकार को निर्देश जारी किया जाए कि डीएनसी की आमदनी और खर्चे का ब्यौरा इसकी वेबसाईट पर प्रकाशित किया जाए. डीएनसी की आमदनी और खर्चों का ऑडिट आज तक कभी प्रकाशित नहीं किया गया है.
इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील रॉबिन राजू ने कहा कि काउंसिल के कामकाज में "लोकतंत्र" होना चाहिए. काउंसिल में रजिस्टर्ड नर्सों के कल्याण के लिए दिल्ली नर्सिंग काउंसिल का गठन किया गया है इसलिए, उन्हें इसके कामकाज में अपने बात रखने का अधिकार होना चाहिए. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई आरटीआई के माध्यम से यह सामने आया है कि नर्सों के लिए सुविधाओं का अभाव है. उन्होंने कहा कि हम कोरोना योद्धाओं के बारे में बात कर रहे हैं. नर्सें मेडिकल क्षेत्र की रीढ़ हैं."
हाइकोर्ट के इस निर्णय पर इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी अरुण जीएस से एशियाविल ने बातचीत की.
अरुण ने मुझे बताया, “दिल्ली इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन दिल्ली नर्सिंग काउंसिल में 90000 नर्स रजिस्टर्ड है. लेकिन जब वहां वोट होता है तो उसमें नर्सेज का वोट नहीं होता. दूसरी जगह वोटिंग पावर होता है लेकिन यहां से नॉमिनेशन होता है. दूसरी बात यह है कि वहां पर नर्सेज के लिए बुनियादी सुविधाएं जैसे टॉयलेट, पीने का पानी, बैठने तक की जगह नहीं हैं. इन्हीं मुद्दोंको लेकर हमने याचिका डाली थी जिस पर कोर्ट ने नोटिस देकर अगली सुनवाई दिसम्बर में करेगा. और हमें लगता है कि इसमें जरूर कुछ अच्छा फैसला आएगा.”
बता दें कि दिल्ली नर्सिंग परिषद एक वैधानिक संस्था है जो दिल्ली नर्सिंग काउंसिल एक्ट के तहत वजूद में आया है और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा इसका संचालन किया जाता है.
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