पत्रकार दानिश सिद्दीकी न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के साथ काम करते थे। रॉयटर्स ने उन्हें अफगानिस्तान और तालिबान में हो रहे संघर्ष का आवरण करने के लिए भेजा था। वो अफगानी स्पेशल फोर्सेज के काफिले में जुड़े हुए थे, जिस वक्त तालिबान आतंवादियों ने काफिले पर हमला किया।
इस हमले में फोटो फोटोजर्नलिस्ट पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत हो गयी। तालिबानी आतंकवादियों ने दानिश सिद्दीकी की हत्या करदी। ये पहली बार नहीं था जब वो सरकार और तालिबान के बीच के संघर्ष का आवरण करने गए थे, इससे पहले वो 2012 में भी अफगानिस्तान में इस तरह की कवरेज कर चुके थे। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो भी डाला था जिसमें ये साफ़ दिखता है कि उनकी हमवी गाडी पर किस तरह से तालिबानी आतंकवादियों ने बम से हमला किया था। पत्रकार दानिश सिद्दीकी को 2018 में पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पुलित्जर पत्रकारिता के क्षेत्र में विश्व में सम्मानित पुरस्कारों में से एक है। दानिश सिद्दीकी दिल्ली के जामिआ नगर इलाके में पले बढ़े, जामिआ मिलिया इस्लामिआ में उनके MCRC सेंटर में उनकी पढ़ाई हुई। विश्व भर से तालिबानी आतंवादियों द्वारा दानिश सिद्दीकी की हत्या पर कड़ी निंदा की जा रही है और उनके परिवार के लिए संतवाना सन्देश भेजे जा रहें हैं। भारत भर में दानिश की याद में सभाएं हो रहीं हैं। दानिश अपने पीछे फोटो पत्रकारिता की एक विरासत छोड़कर जा रहें हैं। लोग कहते है उनकी तस्वीरें आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।
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