भारत के लिए फाइजर-मॉर्डना के मुकाबले क्यों बेहतर मानी जा रही ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन?
कोरोना वायरस वैक्सीन पर दुनिया भर के अलग-अलग देशों में शोध जारी है. इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजनेका की कोविड वैक्सीन AZD1222, फाइजर और मॉर्डेना के मुकाबले भारत के लिए ज्यादा कारगर है.
दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में कोरोना वायरस संक्रमण की वैक्सीन पर शोध तेज़ी से जारी है. अमेरिका में दो मेडिकल फर्म्स फाइजर और मॉर्डना ने यह भी कह दिया है कि इनकी वैक्सीन 90-95 फीसदी तक सफल है. हालांकि अब दावा किया जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और प्रमुख फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन AZD1222, फाइजर और मॉर्डना के मुकाबले ज्यादा सफल है.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की आधी खुराक भी बहुत असरदार है. इसमें बताया गया कि ट्रायल के दौरान जिन लोगों को कोरोना के पहली खुराक में कम मात्रा की वैक्सीन मिली और जिन्हें दूसरी खुराक में पूरी मात्रा मिली, उनमें कोविड संक्रमण की आशंका 90 फीसदी तक कम हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमण को रोकने में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन 70.4 फीसदी तक कारगर है.
रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआती नतीजों से मिली जानकारी के मुताबिक ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बुजुर्गों के साथ ही सभी उम्र वालों पर असरदार है. वहीं यह संकेत भी मिले हैं कि इस वैक्सीन की खुराक से बिना लक्षण वाले वाले कोरोना संक्रमण का ख़तरा भी बहुत कम है. इसमें कहा गया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को फ्रिज के सामान्य तापमान पर भी रख सकते हैं. जबकि फाइजर और मॉर्डना के लिए -20 से -80 डिग्री तक का तापमान जरूरी है. इसका मतलब यह हुआ कि फाइजर और मॉर्डना के मुकाबले इसका रखरखाव आसान है.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन की कीमत भी फाइजर और मॉर्डना के मुकाबले कम है. एक ओर जहां ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन के लिए 2.5 अमेरिकी डॉलर यानी 185 रुपए कीमत होगी तो वही फाइजर और मॉर्डना के लिए 20-25 डॉलर यानी 1500 से 1800 रुपए के बीच खर्च करना पड़ सकता है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक ‘ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप’ के निदेशक और ‘ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ट्रायल’ के मुख्य जांचकर्ता एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, "इन निष्कर्षों से पता चलता है कि हमारे पास एक प्रभावी टीका है जो अनेक लोगों की जान बचाएगा. उत्साहजनक रूप से, हमने पाया है कि हमारी खुराक में से एक लगभग 90 प्रतिशत प्रभावी हो सकती है."
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के साथ भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने उत्पादन के लिए करार किया है. किसी दूसरे देश में बनने वाली वैक्सीन भारत में बनने वाली वैक्सीन से हर हाल में सस्ती पड़ेगी. भारत की जनसंख्या के हिसाब से वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने में सरकार सफल होंगी. भारत में वैक्सीन बनाने का फायदा इस तरह से भी मिल सकता है कि वैक्सीन दूसरे देशों के मुकाबले भारत सरकार को पहले मिले.