गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत, जांच में निर्दोष मिले डॉक्टर कफील
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के मामले में सस्पेंड डॉक्टर कफील खान विभागीय जांच में निर्दोष पाए गए हैं.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफील खान विभागीय जांच में निर्दोष पाए गए हैं.
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— Dr kafeel khan (@drkafeelkhan) September 27, 2019
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बीआरडी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हो गई थी. डॉक्टर कफील को लापरवाही, भ्रष्टाचार और काम में लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड किया गया था.
इस मामले की हुई विभागीय जांच में डॉक्टर कफील को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. डॉक्टर कफील इन्हीं आरोपों में 8 महीने की जेल काट चुके हैं.
यह जांच रिपोर्ट इस साल 18 अप्रैल को आई थी. लेकिन डॉ कफील को यह रिपोर्ट गुरुवार को दी गई.
क्लीनचिट मिलने पर डॉ. कफील ने खुश जताई. उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय मिलने की पूरी उम्मीद थी. लेकिन 2 साल तक उनके परिवार ने प्रताड़ना बर्दाश्त की.
उन्होंने कहा, ''मैं काफी खुश हूं. मुझे सरकार से ही क्लीनचिट मिली है. पर मेरे ढाई साल वापस नहीं आ सकते. अगस्त 2017 में गोरखपुर में लिक्विड ऑक्सिजन की कमी से 70 बच्चों की मौत हुई थी. मैंने बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगा कर बच्चों की जान बचाई. उस समय के बड़े अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को बचाने के लिए मुझे फंसाया गया. मुझे 9 महीनों के लिए जेल भेज दिया गया. जेल में मुझे टॉयलेट में बंद कर दिया जाता था.''
उन्होंने कहा, ''मैं चाहता हूं कि जो 70 बच्चे मरे उनको इंसाफ मिले. मैं उम्मीद करता हूं कि योगी सरकार मेरा निलंबन वापस लेगी.''
योगी आदित्यनाथ सरकार ने अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर कफील खान को निलंबित कर दिया था.
गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी के चलते कई बच्चों की मौत हो गई थी.
अखबारों और सोशल मीडिया में डॉक्टर कफील को हीरो बताया गया क्योंकि उन्होंने बाहर से सिलेंडर मांगकर कई बच्चों की जान बचाई. 22 अगस्त को डॉ. कफील को लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था.
पुलिस ने 2 सितंबर 2017 को डॉक्टर कफील को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. अदालत ने 25 अप्रैल 2018 को उन्हें जमानत दी थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस साल मार्च में सरकार को आदेश दिया कि डॉ. कफील की जांच पूरी होने के बाद जांच रिपोर्ट उन्हें तीन महीने में दी जाए.
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