ओबीसी आरक्षण के समर्थन में ‘राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस’ को ‘प्रतिरोध दिवस’ मनाने का आह्वान
केन्द्र सरकार पर ओबीसी की चौतरफा बेदखली का आरोप लगाते हुए बहुजन बुद्धिजीवियों और संगठनों ने आज 26 जुलाई को राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस के अवसर पर देशभर में ‘प्रतिरोध दिवस’ मनाने का आह्वान किया है.
इनका कहना है कि मोदी सरकार घोर ओबीसी विरोधी और सामाजिक न्याय की हत्यारी है. सरकार 52 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी के ओबीसी समाज को जीवन के हर क्षेत्र में हाशिए पर धकेल रही है. इनके मुताबिक, शाहूजी महाराज ने अपने राज में 26 जुलाई 1902 को पहली बार सामाजिक न्याय के लिए पहल करते हुए आरक्षण लागू किया था. इसलिए इस ऐतिहासिक अवसर को इस बार सामाजिक न्याय के लिए प्रतिरोध के दिन में बदलने के लिए ओबीसी और संपूर्ण बहुजन समाज को सड़क पर उतरने की जरूरत है. साथ ही जो सड़क पर नहीं आ सकते वे सोशल मीडिया के जरिए इसके समर्थन में आवाज बुलंद करें.

इस आह्वान में बहुजन बुद्धिजीवी डॉ.विलक्षण रविदास, लेखक-पत्रकार डॉ.सिद्धार्थ, सामाजिक चिंतक-लेखक डॉ.अलख निरंजन, दिल्ली विश्वविद्यालय के एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.लक्ष्मण यादव, डीयू के राजधानी कॉलेज के एसिस्टेंट प्रोफेसर संतोष यादव, रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव, सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम, अंजनी, बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के सार्थक भरत, अमन रंजन यादव, बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन(बिहार) के अध्यक्ष सोनम राव, शोध छात्र अभिषेक अनंत सहित अन्य लोग शामिल हैं.
इन संगठनो ने इस बारे में एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की है. विज्ञप्ति में मांग करते हुए लिखा गया है कि आरएसएस-भाजपा की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार द्वारा ओबीसी की चौतरफा बेदखली के खिलाफ नीट (NEET) के ऑल इंडिया कोटा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने, आरक्षण के प्रावधानों के उल्लंघन को संज्ञेय अपराध बनाने, ओबीसी को आबादी के अनुपात में आरक्षण देने व निजी क्षेत्र, न्यायपालिका, मीडिया सहित सभी क्षेत्रों में आरक्षण लागू करने और 2021 की जनगणना के साथ जातिवार जनगणना कराने की मांगों की गई है.

साझा बयान के मुताबिक, “आरएसएस और भाजपा की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार लगातार एससी-एसटी के साथ ही देश की 52 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी के ओबीसी समाज को जीवन के हर क्षेत्र में हाशिए पर धकेल रही है. मोदी सरकार ने पिछले 4 साल में 11 हजार से अधिक ओबीसी को डॉक्टर बनने से वंचित कर दिया है और एक बार फिर नीट के ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने से इंकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में सवर्ण आरक्षण के खिलाफ भी मुकदमा चल रहा है. सवर्ण आरक्षण लागू हो रहा है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे के बहाने नीट में ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. भाजपा के राज में लगातार ओबीसी के आरक्षण पर हमला जारी है. अभी यूपी में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में ओबीसी की हजारों सीट लूट ली गई है.केन्द्र सरकार नौकरशाही में लैटरल एंट्री से भर्ती करने लगी है. लैटरल एंट्री में आरक्षण लागू नहीं है.तेज रफ्तार से निजीकरण जारी है.लेकिन निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू नहीं है. निजी क्षेत्र के रोजगार सवर्णों के लिए आरक्षित हो जा रहे हैं. निजीकरण के कारण साल 2003 में केंद्र सरकार के एससी कर्मचारी 5.40 लाख से 2012 तक 16% घटकर 4.55 लाख हो गए.”
आगे लिखा है, “आज भी ओबीसी वर्ग की जीवन के हर क्षेत्र में बदतर स्थिति है.इस वर्ग के पास आज भी ग्रुप-ए के सिर्फ 13.1 प्रतिशत के आस-पास पद हैं यानी आबादी का सिर्फ एक तिहाई,जबकि सवर्णों के पास आबादी से ढाई गुना पद हैं.शिक्षा के क्षेत्र में भी विश्वविद्यालयों के कुलपति से लेकर प्रोफेसर तक में ओबीसी की हिस्सेदारी न्यून है. न्यायपालिका (हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट) में 90 प्रतिशत से अधिक जज सवर्ण हैं,ओबीसी की हिस्सेदारी कितनी होगी,स्पष्ट हो जाता है.मीडिया पर सवर्णों के कब्जे के तथ्य से सभी परिचित हैं.इस परिदृश्य में सवर्णों को आरक्षण देने के साथ ही ओबीसी को देर से मिले केवल 27 प्रतिशत आरक्षण को भी लगातार लूटा जा रहा है.”

अंत में बयान में कहा गया है कि कुल भूसंपदा का 41 प्रतिशत सवर्णों के पास है,ओबीसी का हिस्सा आज भी 35 प्रतिशत के लगभग है और एससी के पास 7 प्रतिशत है.तीनों कृषि कानूनों की मार भी देश के असली किसान आबादी ओबीसी पर ही होगी.जो कुछ भी जमीन इस समुदाय के पास है,वह अंबानी-अडानी के हवाले होगा.कृषि और जमीन पर सवर्ण कॉरपोरेटों का कब्जा होगा.ओबीसी के पैर के नीचे की जमीन छीनकर उसे भयानक गुलामी की तरफ धकेला जाएगा.श्रम कानूनों में कॉरपोरेट पक्षधर बदलाव की मार भी इस बड़ी आबादी पर होगी. अभी-अभी केन्द्र सरकार के एक मंत्री ने लोकसभा में जाति जनगणना में ओबीसी की गिनती न कराने की घोषणा कर दी है.ओबीसी के लिए नीतियां-उत्थान के लिए कार्यक्रम बनेंगे,लेकिन 1931 के आंकड़े के आधार पर ही. कुछ ओबीसी को मंत्री बनाने वाली मोदी सरकार घोर ओबीसी विरोधी है.सामाजिक न्याय की हत्यारी है.मोदी सरकार ओबीसी की हकमारी कर किसको फायदा पहुंचा रही है,साफ है.यह सरकार घोर मनुवादी है और देश को संविधान के बजाय मनुविधान के आधार पर चला रही है.
इस प्रतिशोध दिवस पर रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव एशियाविल से बातचीत में कहते हैं, “हमने आज पूरे देश में लोगों से आरक्षण बचाने के लिए लोगों से ये आह्वान किया है. और जो लोग ,सड़कों पर नहीं आ सकते वे सोशल मीडिया के जरिए अपना समर्थन दें. इसके अलावा हमने पिछली साल भी ये प्रदर्शन कर चुके हैं. साथ ही हमारी ये मांग है कि इसका उल्लंघन करने वालों को सिर्फ चूक या गलती कहकर न छोड़ा जाए, बल्कि उन्हे कठोर सजा भी मिले.”
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