सपा-बसपा-रालोद के गठबंधन के महामिलावटी बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी कितने दलों से गठबंधन कर लड़ रही है चुनाव.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत मेरठ में आयोजित रैली से की. रैली में मोदी ने सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन को महामिलावटी बताया. इस गठबंधन पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा था कि महामिलावटी लोगों के हाथ में देश सुरक्षित नहीं रहेगा.
ओड़ीशा की एक चुनावी रैली में लोगों का अभिवादन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.
आइए हम बताते हैं कि सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन को महामिलावट बताने वाले नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी कितने दलों के साथ गठबंधन कर 2019 के चुनाव मैदान में उतरी है.
अब तक की सूचनाओं के मुताबिक बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए 34 दलों से समझौता किया है. यानी बीजेपी को मिलाकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल दलों की संख्या 35 है. इनमें पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक के छोटे-बड़े दल शामिल हैं.
महाराष्ट्र में शिवसेना बीजेपी की पुरानी सहयोगी है.
गठबंधन का गणित
जिन दलों से बीजेपी ने राजनीतिक समझौता किया है, उनमें समान विचारधारा वाले दलों के साथ-साथ किसी एक जाति, समुदाय या इलाके की राजनीति करने वाले छोटे-बड़े दल भी शामिल हैं. समान विचारधारा वाले दलों में शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल जैसे धर्म-संप्रयाद की राजनीति करने वाले दल बीजेपी के पुराने साथी हैं.
पिछले लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य में टिकट और सीट बंटवारे में भी जाति और संप्रदाय की गणित का ख्याल रखा था.
पश्चिम बंगाल की एक चुनावी रैली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और अन्य नेता.
उत्तर प्रदेश में सपा के मजबूत वोट बैंक यादव का मुकाबला करने के लिए बीजेपी गैर यादवों को उम्मीदवार बनाया. इसके अलावा उसने कुर्मी वोटों को साधने के लिए अपना दल जैसे गठबंधन किया. इसके साथ ही अति पिछड़ी जातियों का वोट हासिल करने के लिए बीजेपी राजभर जाति की राजनीति करने वाले ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठजोड़ किया था.
इसके साथ ही बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने रिजर्व सीटों पर गैर जाटव और गैर चमार उम्मीदवार उतारे. इसका फायदा भी बीजेपी को हुआ. लोकसभा चुनाव में जहां बसपा 19 फीसद वोट पाने के बाद भी कोई सीट नहीं जीत पाई थी. वहीं सपा केलव पांच सीटों पर ही सिमट कर रह गई. यह भी वो सीटें थीं, जहां से सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके परिजन चुनाव लड़ रहे थे.
बीजेपी ने यही रणनीति उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी अपनाई. साल 2017 के विधानसभा में भी बीजेपी में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए तीन सौ से अधिक सीटें जीत लीं. वहीं बसपा 19 और सपा 44 सीटों पर सिमट गईं.
गठबंधन की बुनियाद
इससे सबके लेते हुए सपा-बसपा ने उत्तर प्रदेश में तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में बसपा ने सपा उम्मीदवारों का समर्थन किया. इसका परिणाम यह हुआ कि सपा तीनों सीटों पर वो बीजेपी को पटखनी देने में कामयाब रही. यह प्रदर्शन ही सपा-बसपा-रालोद के गठबंधन का आधार बना. जिसे अब नरेंद्र मोदी महामिलावटी बता रहे हैं.
लखनऊ में सपा-बसपा के गठबंधन की घोषणा के दौरान मायावती का स्वागत करते अखिलेश यादव
बिहार में भी बीजेपी ने यह रणनीति अपनाई थी. लोकसभा चुनाव में उसने उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और मुकेश साहनी के विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से हाथ मिलाया था. कुशवाहा को जहां पिछड़ी जाति कोईरी का नेता माना जाता है वहीं मुकेश साहनी निषाद या मल्लाहों की राजनीति करते हैं. हालांकि ये दोनों नेता अब एनडीए को छोड़कर यूपीए का हिस्सा बन चुके हैं.
एनडीए बनाम यूपीए
इस साल के चुनाव में एनडीए में बीजेपी के अलावा शिवसेना, अन्नाद्रमुक, जेडीयू, लोजपा, अकाली दल, अपना दल (अनुप्रिया), अगपा, एआईएनआर कांग्रेस, एनपीपी, पीएमके, डीएमडीके, अजासू, आरपीआई (अठावले), बीपीएफ, एनडीपीपी, एमजीपी, जीपीएफपी, आईपीएफटी, एमपीपी, केपीपी, जेकेपीसी, यूडीपी, एचएसपीडीपी, केरल कांग्रेस (थॉमस), बीडीजेएस, जेएसएस, पीजेपी, जेआरएस, केवीके, पीएनपी, केरल कांग्रेस (एन), पीडीएफ, एसबीएसपी, एमएनएफ शामिल हैं.
साल 2014 के लोसकभा चुनाव में एनडीए में 27 दल शामिल थे. इस चुनाव में एनडीए ने 336 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी एनडीए का हिस्सा है.
2014 में एनडीए में बीजेपी के अलावा शिवसेना, तेदेपा, लोजपा, शिरोमणि अकाली दल, रालोसपा, अपना दल, स्वाभिमानी पक्ष, पीएमके, एआईएनआर कांग्रेस, एनपीएफ, एनपीपी, डीएमडीके, एमडीएमके, आरपीआई (अठावले), आरएसपी केरल (बोल्सेविक), रासपा, हरियाणा जनहित कांग्रेस, एमपीपी, एमएनएफ, केएमडीके, आईजेके, यूडीएफ, जीएमएम, एमजीपी, जेएसपी, एनजेपी शामिल थे.
इनमें से आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), जम्मू कश्मीर की पीडीपी, नगालैंड की एनपीएफ, महाराष्ट्र की स्वाभिमानी पक्ष, हरियाणा की हरियाणा जनहित कांग्रेस और तमिलनाडु की एमडीएमके एनडीए का साथ छोड़ चुके हैं.
वहीं एनडीए के सामने खड़ी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए में 2014 में 13 दल थे. इस समय यूपीए में 28 दल शामिल हैं. साल 2014 में यूपीए में कांग्रेस, राकांपा, राजद, झामुमो, मुस्लिम लीग, आरएसपी, केरल कांग्रेस (एम), रालोद, नेशनल कांफ्रेंस, महान दल, बहुजन विकास अघाड़ी, बीपीएफ, सोशलिस्ट जनता (डी) शामिल थे.
यूपीए का बढ़ता कुनबा
अब यूपीए में द्रमुक, एमडीएमके, केएमडीके, रालोसपा, वीआईपी, स्वाभिमानी पक्ष, बीटीपी, झारखंड विकास मोर्चा, हम, केरल कांग्रेस (जैकब),सीएमपी (जॉन), पीस पार्टी, केपीजेपी, टीजेएस, आईजेके और वीसीके जैसे दल भी शामिल हो गए हैं.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में जुटे विपक्षी नेता.
वहीं तेदेपा, तृणमूल, सपा, बसपा, बीजद, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस और पीडीपी किसी केंद्रीय गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. हालांकि सपा-बसपा और रालोद उत्तर प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से सपा 37, बसपा 38 सीटों पर और रालोद तीन सीटों पर चुनाव लड़ रहा है. इस गठबंधन ने रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार न उतारने की घोषणा की है. रायबरेली यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी और अमेठी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की संसदीय सीट है.
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