मांगों को लेकर एम्स ऑफिसर्स एसोसिएशन ने दी हड़ताल की चेतावनी
देश के सबसे बड़े और प्रमुख अस्पताल में गिने जाने वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में फिलहाल सब कुछ सही चलता नजर नहींआ रहा है.
पिछले दिनोंएम्स ऑफिसर्स एसोसिएशन ने एम्स प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर उनकी लंबित मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वे इस महीने के अंत तक हड़ताल पर जा सकते हैं.दरअसल एसोसिएशन की कैडर समीक्षा सहित कई मांगे लंबित हैं, जिस पर पिछले 30 वर्षों से कोई एक्शन नहीं लिया गया है.
कैडर समीक्षा सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिएएम्स की ऑफिसर्स एसोसिएशन ने अपनी मांगों के साथ एम्स प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि 1992 से कैडर समीक्षा नहीं हुई है और स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. इसके अलावा एसोसिएशन की अन्य मांगों में राष्ट्रीय पेंशन योजना में एम्स के योगदान की समीक्षा भी शामिल है.इसके अलावा भी कई अन्य मांगे हैं.

एम्स के ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि वे पहले भी कई बार स्वास्थ्य मंत्रालय को लिख चुके हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है. और अब स्वास्थ्य मंत्री भी बदल गए हैं, लेकिन हमारी मांगें अभी भी अधूरी हैं. हम एम्स प्रशासन से कैडर समीक्षा करने का अनुरोध कर रहे हैं, जो पिछले 30 वर्षों से नहीं किया गया है. एक बार अगर कैडर की समीक्षा हो जाए तो फिर ऑफिसर्स एसोसिएशन एम्स के कर्मचारी पदोन्नत हो सकते हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई विचार नहीं किया गया है. अजीत सिंह ने दावा किया कि अन्य सरकारी कार्यालय एनपीएस में 14 फीसदी का योगदान करते हैं, लेकिन एम्स केवल 10 फीसदी की पेशकश करता है.इस तरह के मुद्दों को हल करने के लिए दिल्ली एम्स, चंडीगढ़ एम्स और पीजीआई पुडुचेरी के साथ उप निदेशक स्तर पर 2012 में एक समन्वय समिति का गठन किया गया था, लेकिन सब बेकार गया और कुछ भी हासिल नहीं हुआ है.उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एम्स प्रशासन हमारी मांगों का जवाब नहीं देता है तो हम इस महीने के अंत तक हड़ताल पर जाएंगे.
एशियाविल ने एम्स ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह से इन मांगों से संबंधित में जानने के लिये संपर्क किया.
संक्षिप्त बातचीत में डॉ. अजीत सिंह ने फोन पर मुझे बताया कि ये सारी प्रशासन की कमी है. चाहेएम्स प्रशासन हो, चाहे फाइनेंस मिनिस्ट्री हो, चाहे हेल्थ मिनिस्ट्री इन तीनों की वजह से ही सब हो रहा है. इन तीनों मंत्रालयों के बीच में ही हमारे कुछ मुद्दे अटके हुये हैं.उपरोक्त मांगों के अलावा भी हमारी बहुत सी मांगें हैं जिनमें से हमने अभी कुछ मांगों को सामने रखा है. और हड़ताल की चेतावनी दी है.
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