अनावरण के इंतजार में है एक कॉलेज में लगी बाबा साहब की प्रतिमा
अलवर के बाबू शोभाराम राजकीय कला महाविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष ने इस प्रतिमा को कॉलेज परिसर में लगवाया है. इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. लेकिन प्रतिमा का अनावरण अभी तक नहीं हुआ है.
बाबा साहब डॉक्टर भीम राव आंबेडकर की एक प्रतिमा को आज भी अनावरण का इंतजार है. यह प्रतिमा लगी है राजस्थान के अलवर जिले के बाबू शोभाराम राजकीय कला महाविद्यालय के परिसर में. इसे लगाने वाले लोगों ने प्रतिमा के अनावरण के लिए संघर्ष की राह चुनी है. लेकिन आज तक प्रतिमा का अनावरण नहीं हुआ है.

बाबू शोभाराम राजकीय कला महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे सुदीप डीगवाल ने डॉक्टर आंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना को लेकर 'एशियाविल हिंदी' को विस्तार से बताया.
सुदीप डीगवाल बताते हैं कि वो 28 अगस्त 2019 को कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे. छात्रसंघ अध्यक्ष चुने जाने के बाद से वो कॉलेज परिसर में डॉक्टर आंबेडकर की प्रतिमा लगवाने की मांग करने लगे. उन्होंने कहा कि वो बाबा साहब को ज्ञान का प्रतीक मानते हैं, इसलिए वो चाहते थे कि उनकी प्रतिमा कॉलेज परिसर में लगे.

वो बताते हैं कि बाबा साहब की प्रतिमा लगवाने के लिए उन्होंने कॉलेज प्रशासन से भी कई बार मांग की. लेकिन जातिवादी सोच वाले कॉलेज प्रशासन ने कॉलेज परिसर में बाबा साहब की प्रतिमा लगाने की इजाजत नहीं दी. वो बताते हैं कि जब उनका कार्यकाल खत्म होने लगा और कॉलेज प्रशासन मूर्ती लगाने की इजाजत नहीं दे रहा था, तो उन्होंने छात्रसंघ भवन के सामने बाबा साहब की प्रतिमा लगवा दी.
डीगवाल बताते हैं कि कॉलेज परिसर में बाबा साहब की प्रतिमा लगाने के आरोप में पुलिस ने कॉलेज प्रशासन की शिकायत पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. वो दो दिन तक जेल में रहे. वो बताते हैं कि इस दौरान कॉलेज प्रशासन ने बाबा साहब की प्रतिमा को कपड़ों से ढंकवा दिया.

वो बताते हैं कि जब वो जेल से छूटकर आए तो कहा कि अब जब प्रतिमा कॉलेज में लग ही चुकी है तो, उसका अनावरण भी करा दिया जाए. लेकिन कॉलेज प्रशासन और सरकार ने उनकी बात नहीं मानी. वो बताते हैं कि अलवर जिले में 11 विधायक और एक सांसद हैं, बाबा साहब की प्रतिमा के अनावरण के लिए वो सबसे मिले. लेकिन उन लोगों ने आश्वासन के सिवा उन्हें कुछ नहीं दिया.
डीगवाल बताते हैं कि जनप्रतिनिधियों के इस व्यवहार से उन्हें बहुत निराशा हुई. वो बताते हैं कि बाबा साहब की प्रतिमा के अनावरण के लिए उन्होंने गांव-गांव घूमकर जनसमर्थन जुटाया और 5 फरवरी को 'चेतना मशाल जुलूश' निकाला. इसे लोगों को भरपूर समर्थन मिला. लेकिन सरकार उस पर ध्यान नहीं दे रही है. इसलिए हमने सरकार को सात दिन का अल्टीमेटम दिया है.
प्रिंसिपल का कहना है
वहीं कॉलेज की प्रिंसिपल स्मिता मिश्र कुछ और ही कहानी बताती हैं. उन्होंने 'एशियाविल हिंदी' को बताया कि सुदीप डीगवाल ने डॉक्टर आंबेडकर की प्रतिमा चौकीदारों को बंधक बनाकर और उनके मोबाइल छीनकर लगवाई है. उन्होंने बताया कि कॉलेज प्रशासन की शिकायत पर पुलिस ने सुदीप डीगवाल को जेल भेजा था.

वो बताती हैं कि सुदीप ने प्रतिमा को ढंककर ही रखा था और बाद में हमने उसकी रक्षा के लिए उसे और कपड़ों से ढंक दिया. कॉलेज प्रशासन ही प्रतिमा की देखभाल कर रहा है.
प्रिंसिपल का कहना था कि प्रतिमा लगाने से जुड़ी इजाजत आयुक्त के यहां से मिलती है. इसलिए हमने आयुक्त से इसको लेकर निर्देश मांगे थे. इस पर आयुक्तालय का कहना था कि कॉलेज प्रशासन जिले के जन प्रतिनिधियों से राय लेकर इस पर उचित कदम उठाए. प्रिंसिपल ने बताया कि कॉलेज ने पत्र लिखकर सभी जनप्रतिनिधियों से डॉक्टर आंबेडकर की प्रतिमा लगवाने को लेकर राय मांगी थी. लेकिन अभी तक किसी ने भी अपनी राय से उन्हें अवगत नहीं कराया है.
वो बताती हैं कि प्रतिमा लगवाने को लेकर जनप्रतिनिधियों की राय जानने के लिए वो अगले 2-3 दिन में उनको एक और पत्र लिखेंगी.

प्रिंसिपल का कहना था कि अगर सुदीप ने उनसे पहले कहा होता कि उन्हें बाबा साहब की प्रतिमा लगवानी है, मैं आयुक्तालय से आदेश लेकर उसे ससम्मान लगवा देती. मुझे बाबा साहब और उनके विचारों से कोई दिक्कत नहीं है. वो कहती हैं कि उनका इस तरह का कोई दुराग्रह नहीं है कि मैं प्रतिमा नहीं लगने दूंगी.
वहीं सुदीप डांगवाल कॉलेज प्रशासन को कहना है कि कॉलेज प्रशासन पर ब्राह्मणवादी होने का आरोप लगाते हैं. वो कहते हैं कि कॉलेज प्रशासन ने न तो उनको प्रतिमा लगाने की इजाजत दी और न ही उनकी बात को आगे प्रशासन तक पहुंचाया.
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