जामिया का जलवा : दुनिया के शीर्ष 2 फीसदी वैज्ञानिकों में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 16 शोधकर्ता शामिल
देश की प्रतिष्ठित जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर से विश्व पटल पर अपना लोहा मनवाया है.
यूनिवर्सिटी के नाम पिछले दिनों एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. दरअसल यूएसए की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जामिया के 16 शोधकर्ताओं को दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित वैश्विक सूची में शामिल किया है. यह सूची कुछ दिनों पहले स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के एमिनेंट प्रोफेसर, प्रो. जॉन इओनिडिस के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा तैयार की गई थी और इसे विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय, एल्सेवियर बीवी द्वारा प्रकाशित किया गया था. इस मौके पर जामिया की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर ने
खुशी जताई है. बताते चलें कि इससे पहले टाइम्स हायर एजुकेशन की वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैकिंग में भी जामिया को भारतीय संस्थानों में 12वीं रैंकिंग दी गई थी.
जामिया से इस सूची में शामिल होने वालों में प्रो. इमरान अली, प्रो. अतीकुर रहमान, प्रो. अंजन ए. सेन, प्रो. हसीब अहसान, प्रो. सुशांत जी. घोष, प्रो. एस. अहमद, प्रो. तोकीर अहमद और डॉ. मोहम्मद. इम्तैयाज को दोनों प्रतिष्ठित सूचियों में शामिल किया गया है. जबकि 2020 में शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में प्रो. आबिद हलीम, प्रो. रफीक अहमद, प्रो. तबरेज़ आलम खान, प्रो. मो. जावेद, प्रो. अरशद नूर सिद्दीकी, प्रो. मुशीर अहमद, प्रो. फैजान अहमद और प्रो. तारिकुल इस्लाम को शामिल किया गया है.
यूनिवर्सिटी की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति के मुताबिक, भारत से कुल 3352 शोधकर्ताओं ने इस सूची में स्थान पाया है जो वैश्विक शोध मंच पर देश के बहुमूल्य प्रभाव का प्रतिनिधित्व करता है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा दो अलग-अलग सूचियां जारी की गईं. पहली प्रतिष्ठित सूची करियर-लॉन्ग डेटा पर आधारित है जिसमें 08 जामिया के प्रोफेसरों ने अपनी जगह बनाई है. जबकि वर्ष 2020 के प्रदर्शन की दूसरी सूची में संस्थान के 16 वैज्ञानिक हैं. वैज्ञानिकों को 22 वैज्ञानिक क्षेत्रों और 176 उप-क्षेत्रों में वगीर्कृत किया गया है. करियर-लॉन्ग डेटा को 2020 के अंत तक अपडेट किया जाता है. इसमें चयन सी-स्कोर द्वारा शीर्ष 100,000 या 2 फीसदी या उससे ज्यादा के प्रतिशत रैंक पर आधारित है. 100,000 से अधिक शीर्ष वैज्ञानिकों का सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटाबेस एक समग्र संकेतक में साइटेशंस, एच-इंडेक्स और साइटेशंस पर मानकीकृत जानकारी प्रदान करता है. वैज्ञानिकों को 22 वैज्ञानिक क्षेत्रों और 176 उप-क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है. करियर-लॉन्ग डेटा को 2020 के अंत तक अपडेट किया जाता है. इसमें चयन सी-स्कोर द्वारा शीर्ष 100,000 या 2% या उससे अधिक के प्रतिशत रैंक पर आधारित है.
इस मौके पर जामिया की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर ने कहा कि यह जामिया में किए जा रहे उच्च स्तरीय अनुसंधान की स्वीकृति है. यह मान्यता विश्वविद्यालय को उत्कृष्टता के वैश्विक मानचित्र पर रखती है और संस्थान के लिए बहुत गर्व की बात है.

इस बारे में जामिया के प्रतिष्ठित मास कम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर की ऑफिशिएटिंग डायरेक्टर सोहिनी घोष एशियाविल से बातचीत में कहती हैं, “ये हमारे लिए बहुत फख्र की बात है. हम वास्तव में अपने सहयोगियों पर फख्र महसूस करते हैं जो बहुत अच्छा कर रहे हैं. बाकि जामिया का नाम जब विवादों में आता है तो उसमें जामिया का कोई हाथ नहीं होता है. ये कुछ लोगों का नजरिया है कि वे जामिया को किस नजरिये से देखते हैं. ये उनकी समस्या है, हमारी नहीं है. यहां के छात्र, शिक्षक जानते हैं कि यहां हम कैसे काम करते हैं और कितने सीरियस हम एकेडमिक को लेकर हैं. ये उनकी समस्या है कि वे जामिया के बारे में क्या सोचते हैं. उनका ये परसेप्शन गलत है और ये मिट भी जाएगा. क्योंकि जिस तरीके से अभी जामिया की तरक्की हो रही है और हमारे बारे में चर्चा भी है उसमें हम आगे जामिया का बहुत अच्छा भविष्य देख रहे हैं. और मैं वास्तव में ऐसे सहयोगियों का हिस्सा बनकर फख्र महसूस कर रही हूं, जिन्होंने इतनी तरक्की की.”
बता दें कि पिछले साल जामिया मिलिया इस्लामिया का नाम काफी विवादों में भी रहा था. जब 15 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) के विरोध में यूनिवर्सिटी के पास हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस अधिकारी यूनिवर्सिटी कैंपस में घुस कर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया, जिसमें यूनिवर्सिटी के सुरक्षाकर्मी और कई छात्र घायल हो गए. इसकी अलावा यूनिवर्सिटी की संपत्ति को भी नष्ट किया था. पुलिस की इस कार्रवाई की देश- विदेश में काफी कड़ी आलोचना भी की गई थी. इसके अलावा फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगे भड़काने के आरोप में जामिया के कई छात्र और पूर्व छात्र जेल में बंद हैं. जिनमें से कई पर पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए हैं. हालांकि इन छात्रों के समर्थन में देश विदेश से आवाजें उठती रहती हैं और उन्हें रिहा करने की गुहार लगाई जाती है.